Protest against electricity smart meters started as soon as the tender was invited
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टेंडर आमंत्रित होते ही शुरू हुआ बिजली के स्मार्ट मीटरों का विरोध

Protest against electricity smart meters started as soon as the tender was invited

Protest against electricity smart meters started as soon as the tender was invited

हिमाचल प्रदेश में बिजली के स्मार्ट मीटरों के टेंडर आमंत्रित होते ही विरोध भी तेज हो गया है। बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन का कहना है कि स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं और बिजली बोर्ड प्रबंधन के हित में नहीं है। यूनियन ने वर्ष 2017 में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू हुई इस योजना के फ्लॉप होने का भी हवाला दिया है। पीपीपी मोड पर स्मार्ट मीटर देने से बिजली बोर्ड के अस्तित्व पर खतरा मंडराने की बात कहते हुए इस संदर्भ में सरकार से दोबारा विचार करने की मांग की गई है।

बिजली बोर्ड के प्रबंध निदेशक हरिकेश मीणा को भेजे पत्र में कर्मचारी यूनियन के महासचिव हीरालाल वर्मा ने कहा कि प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाने के लिए 1903 करोड़ रुपये खर्च किया जाना प्रस्तावित है। बिजली बोर्ड पहले ही पायलट आधार पर वर्ष 2017 में स्मार्ट मीटरिंग के लिए 40 करोड़ से अधिक खर्च कर चुका है। काला अंब में शुरू हुई प्रायोगिक परियोजना विफल रही है।

उन्होंने कहा कि पब्लिक प्राइवेट पार्टिसिपेशन पर स्मार्ट मीटरिंग प्रस्तावित है। इस स्थिति में बिजली खपत बिलिंग गतिविधियों को तीसरे पक्ष की ओर से किया जाएगा। इससे बोर्ड कमजोर होगा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की ओर से सिस्टम को प्राइवेट हाथों को सौंपने के एक गुप्त उद्देश्य के तहत स्मार्ट मीटर लगवाए जा रहे हैं।

इसके दूरगामी परिणाम बिजली उपभोक्ताओं के साथ-साथ राज्य के खिलाफ भी होंगे। बेहतर होता अगर यह स्मार्ट मीटर बोर्ड की ओर से आवश्यकतानुसार चरणबद्ध तरीके से लगाए जाते।